Sunday, June 27, 2010

सुना हैं मैंने

सुना है मैंने....
उसके बारे मे
उसकी सुन्दरता का वर्णन
है ना जाने कितनी किताबों में।

बस एक झलक उसकी
बस एक पुकार उसकी
भूला देती है सबकुछ
बस हलकी सी आहट उसकी।

लाखों है दीवाने उसके
सैकड़ो है परवाने
खोज में उसके बिता दी
जिंदगी अपनी

न जाने कितने अंजानो ने।

चला हूँ मैं भी
उसे अपना बनाने
जुड़ चूका है नाम मेरा भी
सूचि में उसके दीवानों की।

विश्वास है मुझे...
उसे पा लूँगा
है हर वोह बात मुझमे
की उसका दिल भी पिघला दूंगा।

कहीं तो होगी तस्वीर उसकी
कोई तो बतायेगा पता उसका
कही से तो होके गुजरता होगा
रास्ता उसके घर का।

गुजर रहा हूँ अनजान गलियों से
चीखता चिल्लाता
"किसी ने तो देखा होगा
कोई तो मिला होगा

उस सुंदरी को
है जिसका नाम - सफलता"


आया जवाब एक भले मानुस का
"ढूंढ रहे है हम भी उसे
खेल रही है आंखमिचोली
पाना चाहे हर कोई उसे
हर तरफ है उसकी बोली।

ना जाने है कहाँ छुपी
मिल ना सका कोई
पा ना सका कोई
है खोई कहाँ यह सफलता?

इन्द्रधनुष सा दृश्य दिखायेगी
और अगले ही पल ओझल हो जायेगी
ऐसी है यह सफलता
बस ऐसी ही है यह सफलता।"

Tuesday, February 9, 2010

phir chal pada hu main

फिर चल पड़ा हूँ मैं
दिल में एक उम्मीद लिए;
कुछ नया करने की आस लिए;
लाखों की भीड़ में
आज आगे निकलने की उम्मीद लिए।


काँधे पे लैपटॉप, हाथ में मोबाइल
नयी जंग लड़ने;
आज कुछ ख़ास करने
फिर चल पड़ा हूँ मैं।

फिर पहुंचा अपने कर्मक्षेत्र
आज कुछ नया सीखने;
सफलता की नयी पायदान चढ़ने
फिर चल पड़ा हूँ मैं।

फिर बैठा
अनपढ़े ईमेल का जवाब देने;
अनगिनत समस्याओं का समाधान देने
फिर चल पड़ा हूँ मैं।

दोपहरी आयी
बॉस का नया संदेस लिए;
सारे काम छोड़ टार्गेट की ओर
फिर दौड़ पड़ा हूँ मैं।

सांझ आयी
जाने का आदेश लिए;
दिल में फिर उम्मीद लिए;
कल कुछ नया करने
का प्रण लिए
घर की ओर
फिर चल पड़ा हूँ मैं।
फिर चल पड़ा हूँ मैं।